बच्चों में सुनने की क्षमता कम होना – जानिये प्रमुख कारण
बच्चों में सुनने की क्षमता कम होना – जानिये प्रमुख कारण और निवारण
आपकी उम्र चाहे छोटी हो या बड़ी सुनने की समस्या किसी को भी, कभी भी हो सकती है। यही वजह है की आजकल छोटे-छोटे बच्चों में श्रवण हानि अथवा सुनने की क्षमता कम होना जैसी समस्या बहुत अधिक सामने आने लगी है। क्योंकि अक्सर लोग कान की समस्याओं पर ध्यान नहीं देते है। और सोचते है की यह मामूली सी परेशानी है। पर बहरापन की समस्या जब बहुत कम आयु में हो जाये तो बच्चे का आने वाला पूरा भविष्य बर्बाद कर सकती है।
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तो आइये अब चर्चा करते है की बच्चों में श्रवण हानि की समस्या क्या होती है? इसके कारण क्या है? और यह कैसे आपके बच्चे के भविष्य को बरबाद कर सकती है? साथ ही बच्चों में श्रवण हानि से बचने के कुछ जरुरी सुझाव जानिये।
बच्चों में श्रवण हानि क्या है?
जब एक बच्चा अपने किसी एक कान अथवा दोनों कानों से अपने आसपास की ध्वनियों और लोगों द्वारा बोले गए शब्दों और वाक्यों को ठीक प्रकार से सुनने और उन्हें समझने में सक्षम नहीं होता है। तो इसे सुनने में समस्या या श्रवण हानि कहते है। हालाँकि यह समस्या कुछ समय के लिए भी हो सकती है। जिसे प्रवाहकीय या आंशिक बहरापन कहा जाता है।
यह गंभीर रूप में भी हो सकती है, जिसके अंतिम चरण में स्थायी रूप से बहरापन होने की समस्या होती है। जिसके अंतर्गत सुनने की क़ाबलियत पूरी तरह खो जाती है और पीड़ित व्यक्ति अथवा बच्चा संवाद (बातचीत) के लिए होठ पढ़ने और इशारों की भाषा पर निर्भर हो जाता है। बचपन में ही सुनने की शक्ति पुरी तरह छिन जाना किसी भी बच्चे के लिए एक अभिशाप से कम नहीं है।
क्योंकि नवजात शिशु अपने सम्पूर्ण शारीरिक विकास के लिए अपने कानो पर निर्भर रहता है। इसका एक कारण यह भी है की छोटा बच्चा अपने बोलने के कौशल को विकसित करने के लिए भी सुने गए शब्दों को दोहराकर उन्हें बोलने और सीखने की कोशिश करता है। पर जब बच्चा ध्वनियों और शब्दों को सुन ही नहीं पायेगा तो उसका भाषा ज्ञान भी अधूरा रह जायेगा। इसलिए अक्सर ऐसे बच्चों का दिमागी विकास ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है।
बच्चों में श्रवण हानि के लक्षण
छोटे बच्चों यहाँ तक की नवजात शिशु में भी कम सुनाई देना या कान से न सुन पाने की समस्या का पता लहगने के लिए आपको कुछ सामान्य तथ्यों की जांच करनी होगी। जिसके अंतर्गत आपको निम्नलिखित लक्षणों की तलाशा करनी पड़ सकती है। नीचे दिए गए लक्षणों में से किस के भी पाए जाने पर आपको अपन बच्चे के प्रति सजग हो जाना चहिये। और समस्य की पुष्टि करने के लिए किसी कान के डॉक्टर से उसके कान की उचित जांच करवानी चाहिए।
यह सभी लक्षण निम्नलिखित है –
- शिशु द्वारा अपने कान को बार बार खींचना
- आसपास तेज़ आवाज पर भी नींद से न जागना
- कान के पास ध्वनि होने पर उस ओर न देखना
- पुकारने या ताली बजाने पर प्रतिक्रिया न देना
- बच्चों द्वारा ऊँचा सुनना, जोर से बोलना
- छोटे बच्चों को बोलने में समस्या होना
- बच्चों का हकलाना या तुतलाना
- नवजात शिशु को अचानक बुखार आ जाना
- बच्चों के कान में दर्द होना, और रोना
- कान से सफ़ेद तरल पदार्थ का निकलना
- कान से मवाद आना अथवा कान का बहना
- बच्चों के कान में खुजली होना कान रगड़ना
- बच्चे के मध्य कान में सूजन हो जाना
बच्चों में श्रवण हानि के कारण
ऐसी बहुत सी वजह है जिनसे बच्चे बहुत कम उम्र में श्रवण हानि का शिकार हो जाते है। बहुत ही छोटी आयु में श्रवण बाधित हो जाना अथवा जन्मजात बहरापन का शिकार होना है। एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में सामने आने लगा है। इसलिए बच्चों में श्रवण हानि के इन सभी कारणों की जानकारी होने से आप पहले से ही जरुरी कदम उठाकर अपने बच्चे को इस समस्या के प्रति सुरक्षित कर सकते है।
बच्चों में श्रवण हानि के निम्नलिखित कारण हो सकते है –
- कान में संक्रमण होना
- जन्मजात बहरापन
- कान की सफाई न होना
- गर्भधारण व मादक पदार्थ
- टीकाकरण न करवाना
- ध्वनि प्रदुषण से
- कुछ अन्य कारण
तो आइये अब इन सभी कारणों को थोड़ा विस्तार से समझते है। और जानते है की छोटे बच्चों में श्रवण हानि के जिम्मेदार सभी करक कौन-कौन से है?
1. कान में संक्रमण होना
बच्चे के कान में संक्रमण होना बहरेपन का सबसे आम कारण है। यह बच्चे के जन्म के बाद के वर्षों में कभी भी हो सकता है। बच्चों के कान में इन्फेक्शन उनके मध्य कान में जीवाणु हमले के कारण होता है जिससे बच्चे के मध्य कान में सूजन आने की संभावना होती है। इस संक्रमण के फैलने की कई वजह होती है। जब बच्चा गले के संक्रमण, साइनस के संक्रमण, स्विमर्स ईयर, सर्दी जुकाम, अथवा संक्रामक बुखार आदि से पीड़ित हो तो यह संक्रमण युस्टेशियन ट्यूब के जरिये बच्चे के कान तक पहुंच जाता है। जिससे उसके आंतरिक कान में सूजन भी हो सकती है।
2. जन्मजात बहरापन
कुछ प्रकार की विपरीत चिकित्सीय परिस्थियों या असुरक्षित प्रसव के कारण बच्चे को जन्म के समय से ही अपने किसी एक कान अथवा दोनों कानो से ध्वनि सुनने में समस्या होती है तो यह स्थिति जन्मजात बहरापन की समस्या के अंतर्गत आती है। कुछ मामलों में ऐसा भी देखा गया है की बच्चे में जन्म के समय से ही किसी एक अथवा दोनों कानो का न पाया जाना भी एक दुर्लभ वजह है। इससे बच्चों में हकलाने तुतलाने के साथ बोलने में समस्या जैसे लक्षणों का पाया जाना आम है।
3. कान की सफाई न होना
एक नियमित अंतराल पर बच्चों या नवजात शिशु के कान की सफाई न करना भी एक कारण है क्योंकि कान में बनने वाला मोम या बच्चों के कान का मैल अधिक मात्रा में एकत्रित होकर अटक जाता है जिससे ध्वनि कान के परदे तक नहीं पहुंच पाती है, और बच्चों को बहुत धीमा या ऊँचा सुनाई देने लगता है। साथ ही मैल के सूख कर जम जाने से बच्चों के कान में दर्द भी होने लगता है।
4. गर्भधारण व मादक पदार्थ
वर्तमान समय में धूम्रपान और मादक पदार्थों की बढ़ती आदतों के कारण लड़कियों में भी तम्बाकू सिगरेट, और शराब का सेवन करना आम हो गया है। ऐसे में लड़कियां गर्भवती होने के बाद भी इन आदतों का त्याग नहीं कर पाती है। जिसका हानिकारक प्रभाव उन पर साथ ही उनके गर्भ में विकसित हो रहे बच्चे के स्वास्थ्य और कान पर भी पड़ता है। स्त्रियों का गर्भावस्था में धूम्रपान करना उनके होने वाले बच्चे को बहरापन का शिकार बना सकता है।
5. टीकाकरण न करवाना
बच्चों के जन्म के समय उन्हें जानलेवा बीमारियों और श्रवण हानि से बचाने के लिए कुछ जरुरी टीके लगाए जाते है। यह टीके उन्हें जन्म के कुछ वर्षों तक एक नियमित अंतराल पर बीमारियों से सुरक्षा देने के लिए लगाए जाते है। बिमारियों का टीकाकरण करने से बच्चों को बहरेपन से बचाया जा सकता है। पर कुछ माता पिता अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभाते है। वह टीकाकरण को जरुरी नहीं समझते अथवा सही समय पर टीके लगवाने में लापरवाही करते है। जिसका नुकसान बच्चों को उठाना पड़ता है।
6. ध्वनि प्रदुषण से
आसपास के वातावरण में उत्पन्न होने वाला शोर सामान्य स्तर से कही अधिक होता है। जो की एक नन्हे बच्चे के कान के लिए किसी जहर से कम नहीं है। ध्वनि प्रदुषण की चपेट में आने से बच्चों में सुनने में समस्या के मामले देखने को मिलते है। इसके कुछ कारणों में बच्चों को तेज़ आवाज में टीवी देखने देना, बच्चों को हेडफोन पर तेज़ आवाज में गाने सुनने देना, बहुत शोर करने वाले पटाखे और बम बच्चों के आसपास फोड़ना आदि शामिल है।
7. कुछ अन्य कारण
उपरोक्त बताये गए सभी कारणों के अतिरिक्त भी कुछ ऐसे कारण है जो की कम देखने को मिलते है पर उन्हें भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि बच्चों में सुनने की समस्या को कम करने के लिए आपको सभी संभावित कारणों का पता होना चाहिए। यह सभी निम्नलिखित है –
- बच्चों के सिर पर चोट लगना
- कान पर जोर से थप्पड़ मारना
- आसपास कोई धमाका होना
- कान पर कोई आघात लगना
- कान की बिमारी के लक्षण से
- वेस्टिबुलर विकार होने से
- नए दांत निकलने से दर्द
- कान में कीड़ा चले जाने से
- रोकथाम के उपाय व सुझाव
बच्चों में श्रवण हानि के मामलों की संख्या कम करने के लिए आपको समस्या के होने से पहले ही उसकी जानकारी और अपनी तैयारी पूरी रखनी होगी। जरुरी सावधानियाँ बरत कर और निम्न सुझाबों को अपना कर आप अपने बच्चे को सुनने की क्षमता में कमी होने की समस्या से बचा सकते है और उसके भविष्य को उज्जवल बनाने में उसकी सहायता कर सकते है।
इसके लिए आपको निम्नलिखित सुझावों पर ध्यान देना चाहिए –
- गर्भवती माँ को अपनी और बच्चे की सेहत पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
- सभी जरुरी दवाओं और पोषक तत्वों (संतुलित भोजन) को लेना चाहिए।
- गर्भावस्था के समय धूम्रपान या अल्कोहल का सेवन बिलकुल न करें।
- बच्चे के जन्मे के समय ही बच्चे का श्रवण परिक्षण अवश्य करवाएं।
- बच्चे के कान में होने वाली किसी भी समस्या में लापरवाही न बरतें।
- नवजात शिशु के कान में तेल डालने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
- बहुत अधिक शोरगुल वाले वातावरण से अपने बच्चे को दूर ही रखें।
- बच्चो को अधिक देर तक पानी में तैरने या हेडफोन मत लगाने दें।
- बहुत तेज़ आवाज पर बच्चों को टीवी पर कार्यक्रम नहीं देखने दें।
- अपने बच्चों के कान की सफाई नियमित अंतराल पर अवश्य करें।
- नहलाते समय बच्चों के कान में पानी न जाने दें। उन्हें तुरंत सुखाएं।
- बच्चों में श्रवण हानि का इलाज
बच्चों में श्रवण हानि की समस्या को होने से रोक कर आप अपने बच्चों को अन्य सभी बच्चों की तरह सामान्य रूप से जीवन जीने का अवसर प्रदान कर सकते है। पर यदि किसी कारणवश आपके बच्चो को सुनने में कोई समस्या आ जाये या फिर उसे किसी एक कान से कम सुनाई देने लगे तो फिर आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और बताये गए निर्देशानुसार काम करना चाहिए। यदि समस्या दवाओं से ठीक हो सकती है तो डॉक्टर आपको जरुरी दवाएं प्रदान करेगा। पर यदि समस्या गंभीर है जिसका इलाज दवा से नहीं हो सकता।
तो डॉक्टर आपको निम्नलिखित विकल्पों की सलाह दे सकता है –
1. स्पीच थेरेपी
जन्मजात बहरापन का शिकार हुए बच्चो को जिनमें अपनी बोलने की क्षमता विकसित कर पाना मुश्किल होता है। ऐसे बच्चों को कान का डॉक्टर स्पीच थेरेपी की सलाह देता है। स्पीच थेरेपिस्ट बच्चों को बहुत से मनोरंजक खेलों के माध्यम से चीजों को सीखने का अवसर देता है। जिससे बच्चे न सुन पाने पर भी अपने बोलने के कौशल को आसानी से विकसित कर सकते है।
2. कान की मशीन
जो बच्चे अपने किसी एक कान अथवा दोनों कानों से सुनने की क्षमता में निम्न से गंभीर स्तर की कमी महसूस करते है। उन सभी बच्चो को कान की मशीन से लाभ प्राप्त होता है। यह श्रवण यंत्र आसपास की ध्वनियों को कई गुना अधिक बढाकर कान में भेजते है जिससे किसी भी स्तर की सुनने की समस्या से जूझ रहा बच्चा भी फिर से सुन सकता है।
3. कॉकलियर इंप्लांट
जिन बच्चों में तंत्रिका सम्बन्धी सुनने की समस्या होती है। जिसका मतलब यह है की यदि उनकी कान की नस में क्षति हो जाये तो फिर कान की मशीन से उन्हें बहुत अधिक लाभ नहीं मिलता है। इस मामले में डॉक्टर ऐसे बच्चों को कान की श्रवण तंत्रिका के प्रत्यारोपण या कॉकलियर इंप्लांट की सलाह देता है। यह कान की नस के क्षतिग्रस्त हिस्से को फिर से काम करने लायक बना देता है।
निष्कर्ष व परिणाम
सुनने की समस्या या किसी भी स्तर का बहरापन आपको किसी भी उम्र में हो सकता है। पर आपको इससे घबराने या निराश होने की कोई जरुरत नहीं है। क्योंकि जरुरी सावधानियों और देखभाल की मदद से आप सुनने में होने वाली कठिनाई की इस समस्या के होने की संभावना को काफी हद तक कम कर सकते है। पर यदि आपको इन सभी से कोई भी लाभ न मिले तो आप कुछ चिकित्सीय विकल्पों और सहायता द्वारा अपनी खोयी हुई सुनने की क्षमता फिर से प्राप्त कर सकते है। इसलिए अपने कानो का हर प्रकार से ख़याल रखें, बेहतर सुने व स्वस्थ रहें।
अगर आप कान संबंधी किसी भी समस्या का समाधान या फिर कम कीमत पर कान की मशीन ख़रीदना चाहते है तो 9657588677 पर हमसे संपर्क करें।
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