बहरापन और श्रवण हानि (सुनने में समस्या)




यह सुनने की समस्या बहरापन व्यवहारिक रूप से किसी भी व्यक्ति के जीवन और भावनात्मक स्थिति को प्रभावित करती है। यदि आप भी आंशिक रूप से या गंभीर प्रकार की सुनने की समस्या से पीड़ित हैं, तो आप अकेले नहीं हैं। हम आपकी सुनने की क्षमता में कमी की समस्या में सुधार करने में आपकी मदद करेंगे।


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हम आपको बताएँगे की सुनवाई में हानि की परिभाषा और प्रकार क्या है? और सुनने में परेशानी के कारण कौन-कौन से है? साथ ही जानिए बहरापन से कैसे निपटा जाये?


बहरापन या श्रवण हानि

सुनने की क्षमता में कमी (हियरिंग लॉस) या बहरापन (डेफनेस) एक ऐसी स्थिति है, जहाँ एक व्यक्ति अपनी श्रवण-क्षमता खो देता है। और किसी एक कान में बहरापन अथवा दोनों कानों से ध्वनि को सुनने में असमर्थ हो जाता है। और यही वजह है की इसे अक्सर अद्रश्य विकलांगता के रूप में जाना जाता है। क्योंकि यह भले ही दिखाई न दे, पर यह पीड़ित व्यक्ति को महसूस जरूर होती है। दुर्भाग्य से, इस स्थिति से पीड़ित लोग भी अवसाद (निराशा), चिंता, सामाजिक अलगाव (लोगो से दूर रहने की इच्छा) और अन्य स्वास्थ स्थितियों से ग्रस्त हैं।


सुनने की समस्या क्या है ?

यदि कोई व्यक्ति एक या दोनों कानों से ध्वनि सुनने में आंशिक या पूर्ण रूप से असमर्थ हो जाता है। तो सामान्यतः इसे बहरापन या सुनने की समस्या (Hearing loss) कहा जाता है। कानों के पोषण का ठीक से ध्यान न रखना और कान की देखभाल न करने से यह परेशानी बढ़ भी सकती है। हालाँकि, यह एक आम समस्या है।

इसकी सबसे बड़ी कमी यह है कि यह समय के साथ बढ़ती जाती है। और लोगों में उम्र बढ़ने से श्रवण हानि का कारण भी बनती है। यह समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है, कि विभिन्न लोगों के लिए सुनने की समस्या अलग-अलग है। और यहाँ तक कि इस सुनने में समस्या की भिन्न-भिन्न श्रेणियाँ (स्तर) भी हैं, जिनके बारे में हम चर्चा करेंगे।




बहरापन या श्रवण अक्षमता के स्तर

बहरापन की यह समस्या (हियरिंग लॉस) निम्न स्तर से गंभीर स्तर तक, साथ ही बहुत जटिल (गहन) स्तर की भी हो सकती है। सामान्यतः यह परेशानी मुख्य रूप से चार अलग स्तर की होती है जो की इस प्रकार है –


  • हल्की श्रवण हानि
  • मध्यम श्रवण हानि
  • गंभीर श्रवण हानि
  • जटिल श्रवण हानि


1. हल्की श्रवण हानि

हल्की या निम्न स्तर की सुनने की समस्या तब होती है। जब किसी व्यक्ति को शोर वाले वातावरण में सामान्य बातचीत को समझना मुश्किल लगता है। अक्सर लोग इस पर ध्यान नहीं देते है, और यह सोचते है की शोर अधिक है। और जब यह ध्यान देने योग्य होती है है तब तक समस्या काफी बढ़ जाती है।

2. मध्यम श्रवण हानि

मध्यम स्तर की श्रवण-हानि तब होती है, जब कोई व्यक्ति शोर वाले वातावरण में मध्यम तीव्रता की बातचीत को नहीं सुन सकता है। यह सामान्य बातचीत से कुछ अधिक जोर से बोले गए शब्द होते है। इनका सुनाई न देना या इन्हे सुनना भी कठिन लगे, तब आपको सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि यह आपकी समस्या बढ़ने के संकेत है।


3. गंभीर श्रवण हानि

यदि आप अपनी समस्या पर सही समय पर ध्यान न दें, तो फिर आपको गंभीर स्तर का बहरापन हो सकता है। जिसमें कोई व्यक्ति कान की मशीन के उपयोग के बिना जोर से नहीं सुन सकता है। अक्सर यह समस्या उम्र बढ़ने के साथ ही बढ़ती जाती है। इसलिए आपको 40 की उम्र के बाद गंभीर श्रवण हानि होने का खतरा भी बढ़ जाता है।


4. जटिल श्रवण हानि

इस समस्या का अंतिम स्तर गहन (जटिल) रूप से सुनने की क्षमता में कमी है। जिसका मतलब है, की व्यक्ति सुनने की कान की मशीन के उपयोग के साथ भी आवाज सुनने में कठिनाई का सामना करता है। इस अंतिम चरण में व्यक्ति ज्यादातर “लिप-रीडिंग” (होंठ पढ़ना), और “साइन लैंग्वेज” (इशारों की भाषा) पर ही निर्भर रहता है।


बहरापन के बारे में त्वरित आंकड़े

सिर्फ भारत में ही, हर साल बहरापन या सुनने की समस्या के दस लाख़ से अधिक मामले दर्ज किए जाते हैं। विश्व के सभी देशों के मुकाबले में भी यह संख्या अधिक है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, इस आम स्वास्थ्य समस्या के 200,000 से अधिक मुद्दों को सालाना दर्ज किया जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि, विश्व की 5% आबादी में सुनने की क्षमता का आंशिक या पूर्ण रूप से नुकसान है। 65 वर्ष से ऊपर की आयु वर्ग के लोग एवं लगभग एक तिहाई आबादी इस बीमारी (डिसीज) से पीड़ित हैं। उनमें से ज्यादातर दक्षिण एशिया, एशिया प्रशांत और उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्रों में हैं।

बहरापन या श्रवण हानि के कारण

श्रवण-हानि अथवा बहरापन उम्र बढ़ने का प्राकृतिक परिणाम हो सकता है। इसके अतिरिक्त ध्वनि प्रदुषण, शराब और तंबाकू का सेवन, कोलेस्ट्रॉल की अधिकता, और कुछ बीमारियों जैसे – कान की नलिका में सूजन या मध्य कान में सूजन, कान के मैल का जमा होना भी श्रवण-हानि के मुख्य कारण के अंतर्गत आते हैं।



1. उम्र बढ़ना

यह कान से कम सुनाई देने का सबसे आम कारण है। इस समस्या के अंतर्गत 65-74 आयु वर्ग के हर तीन में से एक पीड़ित हैं। बुजुर्गों में बहरापन का खतरा बढ़ने मुख्य का कारण उच्च रक्तचाप, मधुमेह एवं ऐसी दवाईयों का सेवन करना है, जो कान के स्वस्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। चूँकि समय के साथ शरीर के अंगों के ठीक से काम करने में बाधा उत्पन्न होती है। इसलिए कान भी इससे प्रभावित होते है।



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2. अधिक शोर

अत्यधिक शोर के संपर्क में आने से आपके कान को अचानक ध्वनि सुनने में समस्या होना एक आम कारण है। यह शोर रॉक संगीत कार्यक्रम, नाइटक्लब, डिस्को और बड़े-साउंड (ध्वनि-यंत्र), या जोरदार संगीत, हमारे काम करने की जगह (फैक्ट्री, भवन निर्माण स्थल आदि), गाड़ियों के मोटर इंजन से उत्पन्न ध्वनि प्रदुषण आदि से आ सकता है।

छोटे आकार के एमपी 3 प्लेयर (ध्वनि-यंत्र), हेडफोन का का बढ़ता उपयोग भी होने वाले बहरापन के प्रभाव में वृद्धि कर रहा है। तीव्र ध्वनि बहुत ही कम समय में आपके कान को नुक्सान पहुँचा सकती है। कई लोग हानिकारक स्तर पर पायी जाने वाली पर्यावरणीय ध्वनि की उपस्थिति से भी अनजान हैं।

3. आनुवंशिकता

सुनने की समस्या आपके द्वारा विरासत में भी प्राप्त की जा सकती है। इसका मतलब की आपकी श्रवण-हानि अनुवांशिक भी हो सकती है। बहरेपन के आनुवंशिकी को देखते समय, यह पता चलता है की यह 2 अलग-अलग रूप में होते हैं। बहरापन का “सिंड्रोमिक” (सहलाक्षणिक) या कई लक्षणों का मिला-जुला रूप और “नॉनसिंड्रोमिक” (गैर-सहलाक्षणिक) या एकल रूप से होना भी पाया जाता है।

सिंड्रोमिक हियरिंग लॉस: सिंड्रोमिक बहरापन (Syndromic hearing loss) तब होता है। जब किसी व्यक्ति में बहरेपन के साथ-साथ अन्य लक्षण या चिकित्सीय समस्याएँ भी देखने को मिलती हैं।

नॉनसिंड्रोमिक हियरिंग लॉस: नॉनसिंड्रोमिक बहरापन (Non-syndromic hearing loss) तब होता है। जब व्यक्ति में बहरेपन के अलावा कोई अन्य संकेत या चिकित्सीय समस्या नहीं पायी जाती है।

4. दवाएँ

कई प्रकार की दवाएँ आंतरिक कान में सूजन उत्पन्न करके सुनने की क्षमता अथवा शारीरिक संतुलन को खराब कर सकती हैं। ऐसी 200 से अधिक दवाओं और रसायनों के कारण सुनने की समस्या का पाया जाना अपने आप में एक कीर्तिमान (ट्रैक रिकॉर्ड) है। इन दवाओं को जहरीला (टॉक्सिक) माना जाता है। ज्यादातर “NSAIDS” (नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) और सुनने में समस्या के बीच संबंध, महिलाओं में अधिक देखने को मिलता है।

5. बीमारियाँ

कुछ गँभीर बीमारियां जैसे – दिल की बिमारी, उच्च रक्तचाप, और मधुमेह, बेस्टिब्यूलर विकार जैसी बीमारी अथवा कान की बीमारी जैसे – कान में संक्रमण, कानदर्द, फोड़ा फुंसी, जलन, कान में फंगल इन्फेक्शन भी सुनने की शक्ति के नुकसान और बहरापन का प्रमुख कारण हो सकते है। इस आपके कानो पर बुरा असर होता है, और परिणामस्वरूप ध्वनियां सुन न पाना आम बात है।


6. शराब या तंबाकू

अत्यधिक शराब पीने से मस्तिष्क में “ऑडिटरी कोर्टेक्स” (श्रवण-प्रांतस्था) या सुनने-सम्बन्धी आवरण को नुकसान पहुँचता है। जिससे आपके मस्तिष्क की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। अल्कोहल का उच्च स्तर आपके शरीर में एक विषाक्त वातावरण बनाता हैं। जो आंतरिक कान में पायी जाने वाली “कोक्लीअ” (कर्णावृत) में पायी जाने वाली नाजुक सूक्ष्म कोशिकाओं को नुकसान पहुँचा सकता है।

यहाँ तक कि मध्यम स्तर पर शराब पीने वालों को भी तंत्रिका-क्षति साथ ही आपके कान को गंभीर स्तर की सुनने की समस्या से ग्रसित कर सकता है। जो लोग किसी भी प्रकार की सिर की चोट का सामना करते हैं। वह अस्थायी या स्थायी रूप से सुनने की समस्या अथवा टिनिटस (कान बजने) के संपर्क में आ जाते हैं। गर्भावस्था में धूम्रपान के कारण बच्चों में श्रवण हानि का खतरा भी रहता है।

बहरापन के लक्षण

यदि आप कान से सुनाई न देना या बहरेपन के निम्नलिखित संकेतों में से किसी एक लक्षण का भी अनुभव करते हैं, तो आपको अपनी सुनने की शक्ति का परीक्षण ऑडियोलॉजिस्ट विशेषज्ञों (कान के डॉक्टर) द्वारा कराना चाहिए।

बहरापन के लक्षण निम्न प्रकार हो सकते हैं –


  • व्यक्ति द्वारा बोली गयी भाषा को न समझ पाना। 
  • आपको ध्वनियों का स्पष्ट रूप से सुनाई न देना।
  • कुछ सामाजिक सभाओं या कार्यक्रम में जाने से बचना।
  • कार्यकर्म देखते समय टी.वी की ध्वनि सुन पाना
  • आवाजों को सुनने में समस्या का सामना करना।
  • अक्सर दूसरों को धीरे-धीरे बात करने के लिए कहना। 
  • या फिर बात को स्पष्ट रूप से बोलने के लिए कहना। 
  • बात को फिर से दोहराने या जोर से बोलने के लिए कहना ।
  • सामाजिक सभा में सुनने में होने वाली कठिनाइयाँ। 
  • अब आपके द्वारा धीमे शोर सुनना मुश्किल होने लगता है।
  • अपनी घड़ी की टिक-टिक की आवाज न सुन पाना। 
  • पानी के बहने या पक्षियों को चहचहाते हुए सुनने में मुश्किल होना।
  • सिर के पीछे से आने वाली आवाज को सुनने में दिक्कत होना।
  • किसी के द्वारा आपको बुलाते हुए सुनने में कठिनाई होना।
  • अत्यधिक शोर भरे वातावरण में ठीक से न सुन पाना।

श्रवण-विकलांगता के प्रकार

सुनने की असमर्थता के मामले में, इलाज मदद कर सकता है। लेकिन इस स्थिति को ठीक नहीं किया जा सकता है। किसी व्यक्ति के कानों के किस हिस्से पर यह प्रभाव डालता है? इस आधार पर इन समस्याओं को वर्गीकृत किया जा सकता है। कान की मशीन चुनते समय सही फैसला लेने के लिए इसके पीछे छुपे कारणों के साथ श्रवण-विकलांगता के प्रकार (टाइप्स ऑफ़ हियरिंग लॉस) को समझना भी अति आवश्यक है। तो आइए हम सुनवाई में कमी के विभिन्न प्रकारों को समझें जो की निम्नलिखित है –

  • सेंसरीन्यूरल या संवेदी श्रवण-हानि
  • कंडक्टिव या प्रवाहकीय श्रवण-हानि
  • मिश्रित श्रवण-हानि
  • तंत्रिका सम्बन्धी सुनने की समस्या

1. सेंसरीन्यूरल या संवेदी श्रवण-हानि

सेंसरीन्यूरल सुनने की समस्या, आंतरिक कान के संवेदी नसों की क्षति द्वारा होने वाली कान की बीमारी है। यह किसी व्यक्ति के आंतरिक कान के कर्णावृत (कोक्लीआ) या सुनने की प्रणाली के क्षेत्रों में होने वाले नुकसान से होती है। हालाँकि, कुछ मामलों में, इसका कारण निर्धारित नहीं किया जा सकता है। यह आम तौर पर अपरिवर्तनीय और स्थायी है। यह श्रवण-हानि, सेंसरीन्यूरल या “एसएनएचएल” (SNHL) का सबसे आम प्रकार है, इसके परिणामस्वरूप तीव्र ध्वनि सुनने का नुकसान और ध्वनि की स्पष्टता में कमी महसूस होना।


जिन लोगों में इस प्रकार की श्रवण विकलांगता को ठीक किया जाता है। उन्हें श्रवण में सुधार के लिए कान की मशीन या कॉक्लियर इम्प्लांट को इस्तेमाल करना पड़ता है। आजकल शोर भरे वातावरण द्वारा कान पर अत्यधिक जोर पड़ने से, जोर से संगीत सुनने से, लंबे समय तक शोर के संपर्क में रहने के कारण सेंसरीन्यूरल बहरापन अधिक आम हो रहा है। इस प्रकार का विकार आनुवंशिक रूप से भी हो सकता हैं। और ऐसे मामले में देखा गया है की, एक व्यक्ति सिर की चोटों के कारण अपनी सुनने की क्षमता खो सकता है।



इस प्रकार सुनने की क्षमता का नुकसान क्यों होता है? इसके कई कारण हैं। यह व्यक्ति में जन्म से हो सकता है, या उसके जीवन में जल्दी या देर से भी हो सकता है। इसके कुछ आम कारण – धूम्रपान, बीमारियां और यहां तक कि कुछ दवाएं भी हो सकते हैं। यदि यह आपके दोनों कानों में होगा तो, आपके द्वारा सुनी गयी आवाज को स्पष्ट रूप से समझना मुश्किल होगा। परन्तु जब एक कान में बहरापन होता है। तो किसी व्यक्ति को ध्वनि को उसकी दिशा के अनुरूप ढूंढने में परेशानी होती है।

2. कंडक्टिव या प्रवाहकीय श्रवण-हानि

यह एक प्रकार से बाहरी व मध्य कान द्वारा आंतरिक कान में ध्वनि के प्रवाह सम्बन्धी सुनने की समस्या है। जो की एक विकार है। इसमे व्यक्ति के आंतरिक कान तक ध्वनि को पहुंचने में, कान बंद होने के कारण समस्या होती है। इसलिए इसे प्रवाहकीय श्रवण हानि कहा जाता है। क्योंकि ध्वनि कान की नलिका से होती हुई कान के पर्दे तक और फिर मध्य कान के माध्यम से गुजरती है। जहाँ ध्वनि मध्य कान में पायी जाने वाली तीन छोटी हड्डियों द्वारा प्रेषित होती है।

इन तीन छोटी हड्डियों इंकस, मेलियस, और स्टेपीज को ओसिकल्स कहा जाता है। कुछ मामलों में, यह बहरापन अस्थायी हो सकता है। इस समस्या के विशिष्ट कारण के आधार पर डॉक्टर द्वारा, दवा देना या सर्जरी करना, आपकी मदद कर सकती है। मध्य कान में सूजन के कारण होने वाली सुनने की समस्या, किसी पुराने कान के संक्रमण या कान के मैल के कारण होती है। जहां तरल पदार्थ मध्य कान को भरते हैं जिससे कान के पर्दे को कम्पन करने में समस्या होती है।

3. मिश्रित श्रवण-हानि

मिश्रित श्रवण हानि वास्तव में अपने नाम “मिश्रित” द्वारा परिभाषित की जा सकती है। और यह प्रवाहकीय और सेंसरीन्यूरल सुनने की समस्या का मिला-जुला रूप है। यह इस बात की ओर संकेत करता है, कि कान के बाहरी, मध्य और आंतरिक भाग में एक ही समय में नुकसान हुआ है। मिश्रित श्रवण-हानि आमतौर पर हल्के से गंभीर स्तर तक की होती है। इस समस्या का इलाज कराने वाले लोगों के लिए, ध्वनि की प्रकृति निम्न या फिर समझने में अधिक कठिन हो सकती है।



इसका एक उदाहरण यह भी हो सकता है कि जब एक व्यक्ति, जिसके पास पहले से ही संवेदीय रूप से श्रवण-हानि हो। साथ ही उसे मध्य कान में संक्रमण हो जाता है, तो वह दो प्रकार के सुनने की क्षमता में कमी के चलते अधिक गंभीर रूप से श्रवण-हानि का शिकार हो जाता है। यदि बहरापन अधिक प्रवाहकीय होता है, तो ध्वनि समझने योग्य हो सकती है, यदि यह समस्या अधिकतर संवेदी है, तो व्यक्ति को आवाज को समझने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।

4. तंत्रिका सम्बन्धी सुनने की समस्या

तंत्रिका श्रवण हानि सुनने की समस्या का कम प्रचलित प्रकार है। यह तब होता है जब श्रवण तंत्रिका गुम (नर्व लॉस) हो जाती है या दिमाग में जानकारी को गलत तरीके से प्रसारित करती है। इस प्रकार के बहरापन को सही तरीके से उपचार करने के लिए, इसे गहन परीक्षण की आवश्यकता है। इसमें “रेडियोग्राफिक इमेजिंग टेस्ट” शामिल हो सकती है। वर्तमान परीक्षणों का उपयोग करके तंत्रिका में होने वाले विकार के सटीक स्थान की पहचान करना संभव नहीं है। इसकी जटिल प्रकृति के कारण, अक्सर सुनने की क्षमता की निगरानी की आवश्यकता होती है।

कुछ मामलों में डॉक्टरों द्वारा प्रवर्धन (विस्तार करने) की सिफारिश नहीं की जाती है। उदाहरण के लिए, कभी-कभी कोई व्यक्ति सामान्य तीव्रता पर ठीक से सुन सकता है। लेकिन उसे भाषा को समझने में कठिनाई हो सकती है। कान की मशीन के द्वारा जोर से आने वाली आवाज़ें भी इन मामलों में भाषा की समझ में सुधार नहीं करती हैं। इसके लिए उसे स्पीच थेरेपी की आवस्यकता है। तंत्रिका श्रवण हानि वाले किसी भी व्यक्ति को आवाज के पीछे से आने वाले शोर से अधिक परेशानी होती है।

बहरापन का निवारण कैसे करें?

1. हानिकारक शोर से बचें

यदि ध्वनि बहुत ज़ोरदार है तो यह आपके कानों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। अधिक ध्वनि प्रदुषण फ़ैलाने वाले उपकरणों जैसे – मोटरसाइकिलों, कॉन्सर्ट (समारोह), बड़े स्पीकर, स्वचालित आरी और ड्रिल, इयरफ़ोन, आदि से सुनने की क्षमता में फर्क पड़ता है। और शोर की आवाज का स्तर जितना अधिक होगा सुनने की समस्या का खतरा भी अधिक होगा। तो किसी भी प्रकार के शोर से बचने के लिए अपने कान का बचाव करने की कोशिश करें।

2. श्रवण सुरक्षा के उपकरण पहनें

“इयरप्लग” या “ईर्मफ” जैसे कान रक्षक का प्रयोग करें। इयरप्लग एक प्रकार की मुलायम रबर की वस्तु है। ऐसे कई व्यवसाय हैं जो आपको दैनिक आधार पर कान में होने वाले विकारों के और सुनने की समस्या के खतरे में डाल सकते हैं, जैसे कि – निर्माण कार्यकर्ता, पैरामेडिक्स (सहायकचिकित्सक), संगीतकार, अग्निशामक, सैन्य कर्मियों या निर्माण और कारखाने की नौकरियां करने वाले और कई अन्य व्यवसाय भी।




यह अधिक शोर से आपके कान को सुरक्षा देती है। यह आपको किसी दवा की दूकान में, खेल सामान या सुरक्षा उपकरण भंडार पर आसानी से उपलब्ध हो सकती है। श्रवण-हानि से बचने के लिए “इयरमफ़” (कान ढकने वाले) या शोर को कम करने वाले इयरफ़ोन खरीदे जा सकते हैं। यदि आप अक्सर इयरप्लग या ईर्मफ्स पहनते हैं, तो इसके इस्तेमाल द्वारा जोरदार शोर को आपके कान तक पहुंचने से रोका जा सकता है।

3. शांत प्रकृति वाले व्यक्ति बनें

किसी भी उत्पाद को खरीदने से पहले उसकी तुलना dB रेटिंग (ध्वनि को मापने की इकाई) के आधार पर करें। और यदि आप सिनेमाघर, किसी खाने के होटल, या किसी भी अन्य स्थान पर आप बहुत अधिक जाते हैं। तो वहाँ के प्रबंधक को संगीत को धीमा करने के लिए कहें।

4. मादक पदार्थों का सेवन न करें

अत्यधिक शराब या तंबाकू आपके मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं, और आपके द्वारा अपनी सुनने की क्षमता को खोने की संभावना भी अधिक होती हैं। तो बेहतर होगा की आप इन व्यसनों (बुरी आदतों) को छोड़ने या धूम्रपान करने से बचने के अन्य विकल्पों (टॉफी आदि) को अपनाने का प्रयास करें।

5. कान का मैल साफ करें

आपके कान की नलिका एक मोम जैसा चिकना पदार्थ (तेल) पैदा करती है। जिसे कान का मैल या मोम के नाम से भी जाना जाता है। इस कान के मैल के फायदे भी बहुत है। पर जब आप अपने कान को साफ करते हैं। तो आप इस मैल को निकलने के जगह गलती से इसे और गहराई तक भेज देते हैं।जिससे की आपके कान में अवरोध होने या बंद कान की समस्या के साथ खुजली उत्पन्न हो सकता है। रुई की बत्ती, कान की मोमबत्ती, और कान साफ़ करने वाले अन्य यंत्र, उन सभी के उदाहरण हैं।




इनका उपयोग लोग कान के मोम को साफ करने के लिए करते हैं। यह सभी उपाय इस गंदगी को अधिक दुष्कर बना सकते है। साथ ही आपको अपने कान की मशीन की सफाई करना भी बहुत जरूरी है। जो इस मैल के संपर्क में आने के कारण ख़राब हो सकती है। घरेलु उपाय द्वारा भी आप इसका सफाया कर सकते है। पर ऐसा करते समय आपको बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। और किसी अनुभवी व्यक्ति के देखरेख में यह उपाय करने चाहिए। अगर फिर भी समस्या ठीक न हो तो आप तुरंत अपने कान के डॉक्टर से मिलें।


6. सुनने की क्षमता का परीक्षण कराएं

यदि आपको कुछ स्तर तक बहरापन की समस्या है। तो आप जोरदार शोर के वातावरण से खुद को सुरक्षित रखकर अधिक नुकसान से बच सकते हैं। श्रवण में सुधार के लिए आप नियमित अंतराल पर सुनने की योग्यता का परिक्षण कराएं। और कानो की देखभाल के लिए अपने नजदीकी अस्पताल पर जाएं।

यदि आपका श्रवण-परीक्षण यह संकेत करता है कि, आपके कान में विकार है। तो आप इसे और अधिक जटिल होने से रोकने के लिए जरुरी निर्णय कर सकते हैं। अगर आपको कान की मशीन की ज़रूरत है। तो आप किसी पेशेवर कान के विशेषज्ञ से अपनी सुनने की शक्ति में कमी, जीवन शैली और बजट के अनुसार उपलब्ध सर्वोत्तम विकल्पों पर चर्चा कर सकते है।


अलग-अलग उम्र-वर्ग में बहरापन

आयु से संबंधित सुनने की समस्या “प्रेस्बीस्टेरियन” के रूप में भी जाना जाता है। यह हम सभी में धीरे-धीरे विकसित होता है, जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं। बूढ़े-पुराने, बुजुर्ग और वयस्कों के बीच यह सबसे आम समस्या है। यह आपके दोनों कानों को समान रूप से प्रभावित करता है। यह नुकसान धीमा, स्थिर, और उम्र के साथ अधिक होता जाता है। इसलिए जिन लोगों का अभी तक कोई इलाज नहीं किया गया है, उन्हें यह नहीं पता होता है कि वे पहले से ही कुछ स्तर तक सुनने की क़ाबलियत खो चुके हैं।



यह नुकसान हमेशा स्थायी होता है, लेकिन खतरनाक नहीं होता है। आयु से संबंधित सुनने की समस्याओं के लक्षणों में से एक लक्षण यह है। जब आपको महिलाओं की आवाज़ सुनने में कठिनाई हो रही है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आवाज तीव्रता में अधिक होती है। साथ ही इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं – कान में आवाजें आना, सिरदर्द होना या चक्कर आने के साथ कान में रिंगिंग (टिनिटस) का अनुभव करना। साथ ही आपको आवाजें घुटी हुई (धीमी) या फिर अत्यधिक जोरदार लगती हैं।


कुछ प्रमुख कारण –
कुछ चिकित्सीय स्थितियां जैसे – उच्च रक्तचाप या मधुमेह आदि
पारिवारिक इतिहास (कभी-कभी परिवार के अन्य लोगो में श्रवण-हानि होना)
जोरदार शोर के संपर्क में आने के कारण
हानिकारक या अन्य बिमारियों में दी जाने वाली दवा
शराब पीना या धूम्रपान करना
कैंसर के लिए उपयुक्त “कीमोथेरेपी” दवाओं के इस्तेमाल से
कान के डॉक्टर कुछ विशेष मामलों में “कोच्लेअर इम्प्लांट” (आंतरिक कान की तंत्रिका का प्रत्यारोपण करने) की सलाह देते हैं। जिसका मतलब है कि एक छोटा उपकरण शल्य चिकित्सा के द्वारा आपके आंतरिक कान में लगाया जाता है। यह उपकरण सामान्य रूप से सुनने की समस्या का इलाज नहीं करते हैं। लेकिन कुछ हद तक जोर से सुनने की समस्या या बहरापन में सुधार करते हैं।

जन्मजात बहरापन
जन्मजात बहरापन या श्रवण-हानि का अर्थ है। सुनने की समस्या या विकार जो की शिशु के जन्म से ही मौजूद होता है। डॉक्टर इन दिनों सलाह देते हैं, कि सभी नवजात शिशुओं की अस्पताल से पूर्व निश्चित श्रवण-परिक्षण की जानी चाहिए। और बच्चों को बहरापन का टीकाकरण भी करवाना चाहिए।

बच्चों की उम्र के विभिन्न चरणों के दौरान यह लक्षण देखा जा सकता है। जब नवजात शिशु या कुछ महीनों की उम्र के बाद शिशु के पास कोई जोरदार शोर होता है, फिर भी वह शिशु कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है। जन्मजात श्रवण-हानि, अनुवांशिक या गैर-अनुवांशिक (वंशानुगत) दोनों कारकों के कारण हो सकती है।

1. वंशानुगत / अनुवांशिक कारक


“जेनेटिक” या वंशानुगत कारक बच्चों में होने वाली श्रवण हानि का 50% से अधिक कारण बनता है। यह जन्म के समय में उपस्थित हो सकता है या बाद के जीवन में विकसित हो सकता है। अधिकांश अनुवांशिक श्रवण हानि को “ऑटोसोमल रीसेसिव” या “ऑटोसोमल डोमिनेंट” के रूप में जाना जा सकता है। अगर आसान शब्दों में कहा जाये तो, श्रवण हानि एक या दोनों माता और पिता से विरासत में प्राप्त की जा सकती है। इस तरह के विरासत में सभी अनुवांशिक सुनने की क्षमता के नुकसान का लगभग 70% हिस्सा होता है। आनुवांशिक “सिंड्रोम” (संलक्षण) में किसी लक्षण और अन्य लक्षणों का एक समूह होता है जो एक साथ एक विशिष्ट बीमारी का संकेत देते हैं –

  • डाउन सिंड्रोम (Down syndrome)
  • आशेर सिंड्रोम (Usher syndrome)
  • ट्रेचर कोलिन्स सिंड्रोम (Treacher Collins syndrome)
  • क्रौज़न सिंड्रोम (Crouzon syndrome)
  • अल्पोर्ट सिंड्रोम (Alport syndrome)
  • वार्डनबर्ग सिंड्रोम (Waardenburg syndrome)

2. गैर-वंशानुगत / गैर-आनुवांशिक कारक

बहरेपन के लगभग 25% मामलों में, एक गैर आनुवांशिक कारण है जिसे पहचाना जा सकता है। साथ ही यह जन्मजात श्रवण-हानि का कारण है। गैर-आनुवांशिक कारक, यह अक्सर जन्म से पहले या जन्म प्रक्रिया के दौरान बीमारी या आघात के कारण होता है। जिससे बच्चा श्रवण बाधित हो जाता है। उनके मुख्य कारणों में शामिल हैं –

  • जन्म के वक़्त, शिशु के वजन मे कमी होना
  • मातृ पक्ष से मधुमेह की समस्या
  • ऑक्सीजन की कमी (एनोक्सिया)
  • जन्म के समय आघात (चोट या अन्य जटिलताओं)
  • रक्त में “आरएच” कारक से जुड़ी जटिलताओं के कारण
  • गर्भावस्था के दौरान मां द्वारा धूम्रपान या अल्कोहल का सेवन
श्रवण बाधित बच्चों की पहचान
ऐसे कई मामले हैं जिनमे देखा गया है, की जब बच्चे बड़े होने लगते है तो इस कारण बच्चे श्रवण हानि से प्रभावित होते हैं। ये विकार जन्मजात बहरापन नहीं होता हैं। लेकिन बाद की समयवधि में यह पहचाने जाते हैं। प्रति 1000 बच्चों में लगभग दो से तीन बच्चों की पहचान देर से शुरू होने वाली श्रवण-हानि के रूप में की जाती है। आप श्रवण बाधित बच्चों में एक निश्चित व्यवहार देख सकते हैं, जैसे – उदासी, क्रोध, हर समय निराश होना, कम आत्म-सम्मान होना या पूरी तरह से शर्मीली/शांत प्रकृति होना।

यह व्यवहार भाई बहनों या रिश्तेदारों द्वारा आने के कारण होता है। जैसा कि उन्हें कोई समस्या है, जिसे वह केवल अपने आप महसूस कर रहे हैं। और वे साधारण संवाद के साथ-साथ दूसरों के साथ संवाद भी नहीं कर सकते हैं। घर पर पारिवारिक समर्थन और सामान्य वातावरण बच्चे को आरामदायक देने में मदद कर सकता है। यह बच्चे को सही तरीके से व्यक्त करने में भी सक्षम करेगा, जो उन्हें बेहतर सुनने की क्षमता प्रदान करने में और मदद करेगा।

इस प्रकार की विकलांगता के लिए कुछ प्रमुख कारण –

  • एक छेद युक्त कान का पर्दा होना
  • “ओस्टस्क्लेरोसिस” या कान में हड्डी बढ़ना 
  • “मेनियर” रोग होना, जो प्रगतिशील हैं
  • “मेनिनजाइटिस” (दिमाग का रोग)
  • खसरा, “मम्प्स” गले की सूजन रोग
  • काली खांसी व अन्य संक्रमण
  • विषाक्त प्रकृति वाली दवा का सेवन करना 
  • बच्चों के कान में सूजन होना
  • गंभीर रूप से सिर की चोट लगना
  • जोरदार शोर के संपर्क में आना
  • शोर-प्रेरित श्रवण-हानि का कारण बनता है
  • “ओटिटिस मीडिया” मध्य कान में सूजन 
  • समस्या का उचित इलाज न किया गया हो
  • अन्य प्रकार का धूम्रपान से श्रवण हानि



युवा लोगों में बहरापन

नयी किस्म की जीवनशैली युवा लोगों में होने वाले श्रवण-विकार के प्रमुख कारणों में से एक है। प्रत्येक युवा वयस्क या किशोर इस तरह की गतिविधियों में लिप्त हैं – तेज़ ध्वनि में संगीत सुनना, जोरदार शोर वाले खेल खेलना, संगीत कार्यक्रम, सिनेमाघर में जाना इत्यादि।  वैसे, आप माने या नहीं, यह समस्या निश्चित रूप से सभी उम्र-वर्ग के लोगों को प्रभावित कर रही हैं।

शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है, कि यदि युवा, वयस्क अक्सर तीव्र ध्वनि वाले हेडफ़ोन का उपयोग करते हैं, तो उन्हें इसके परिणामस्वरूप कानों के बजने (टिनिटस ) या सुनने में कमी से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। श्रवण-हानि की बढ़ती दरों के साथ नयी चुनौतियां, वास्तव में युवा लोगों के लिए बढ़ती समस्या है। ऐसे में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जाने के लिए, आपको कठिनाइयों का सामना करना होगा।



युवा और किशोरों में शोर प्रेरित श्रवण हानि रोकने के तरीके निम्न हैं –

  • उच्च गुणवत्ता वाले “इयरप्लग” का उपयोग करें
  • आप “हेडफ़ोन” का उपयोग कम करें
  • घर से निकलते समय कान रक्षक पहने।
  • संगीत सुनने के लिए समय और ध्वनि सीमा तय करें।
  • इसके लिए 60/60 नियम का पालन करें,
  • 60 मिनट से अधिक नहीं और न ही ध्वनि तीव्रता 60% से अधिक हो।
  • यदि संगीत आपके “हेडफोन” से बाहर सुनाई दे रहा है,
  • तो का मतलब है कि यह बहुत ज़ोरदार है।
  • संगीत सुनने से कुछ देर अंतराल (ब्रेक) लें।
  • हमेशा संगीत कार्यक्रमों में अपने कान को ढँक कर जाएँ। 
  • जोरदार शोर युक्त खेल आयोजनों में आप कान के रक्षक पहनें।
हमेशा इस बात को याद रखें, “रोकथाम इलाज से बेहतर” है। श्रवण हानि की संभावना को कम करने की दिशा में आज छोटे-छोटे कदम उठाने से, आने वाले भविष्य में आपको केवल लाभ ही होगा।

बुजुर्ग लोगों में बहरापन

यह बूढ़े-पुराने और बुजुर्ग व्यक्तियों, वयस्कों को प्रभावित करने वाली सबसे आम परिस्थितियों में से एक है। कई मामलों में यह देखा गया है की 60 से 70 वर्ष की आयु के बीच प्रत्येक तीन लोगों में से एक में सुनने की समस्या के आंशिक या गंभीर रूप से ग्रस्त है। वहीं, 75 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग आधे लोगों में सुनने की क्षमता में कठिनाई की समस्या होती है। उम्र से संबंधित विकार अक्सर व्यक्ति के कानों में होते हैं, जो उन्हें समान रूप से प्रभावित करते हैं।

चूंकि, यह नुकसान धीरे-धीरे होता है, इसलिए यदि आपको आयु से संबंधित समस्याएं हैं। तो शयद आपको यह नहीं पता हो सकता है, कि आपने अपनी कुछ सुनने की क्षमता खो दी है। उम्र से संबंधित श्रवण-हानि के कई कारण हो सकते हैं। आमतौर पर, यह समस्या बढ़ती उम्र के रूप में, आंतरिक कान में परिवर्तन होने से उत्पन्न होता है। लेकिन, यह मध्य कान में परिवर्तनों होने का भी परिणाम भी हो सकता है। कुछ विपरीत चिकित्सीय स्थितियां और दवाएं भी इस समस्या को बढ़ाने में, एक भूमिका निभा सकती हैं।

सुनने में होने वाली कठिनाई या परेशानी आपको किसी चेतावनी को समझने और उसका का जवाब देने में, दरवाजे की घंटी बजने या उसके खुलने-बंद होने की गतिविधि पर ध्यान देने, और घड़ी का अलार्म सुनने में, और डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों को समझना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। यह समस्या, आपको मित्रों और परिवार के लोगों के साथ बात करने का आनंद लेना, भी मुश्किल बना सकती है। यह सब स्थितियां बेहद निराशाजनक, शर्मनाक और यहां तक कि खतरनाक भी हो सकती है।

वृद्धावस्था में आपकी सुनने की क्षमता खोने के कई कारण हैं –



  • उच्च रक्तचाप की समस्या 
  • मधुमेह की बिमारी
  • दिमाग से सम्बंधित रोग
  • कुछ पुराने रोगों में यह स्थितियाँ अधिक आम हैं
  • यह सुनने की समस्या में योगदान देती हैं
  • तेज शोर से प्रेरित श्रवण-हानि की समस्या
  • अधिक समय ध्वनि प्रदुषण के संपर्क में रहना
  • बहुत ज़ोरदार आवाज या धमाके से होती है
  • लम्बे समय तक बिमारी पर ध्यान न देना
  • आयु से संबंधित श्रवण-हानि
  • बाहरी कान या मध्य कान की असामान्यता
बूढ़े लोगों में होने वाली सुनने की समस्या के लिए कोई स्थायी इलाज नहीं है। लेकिन इससे पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने का उपाय मौजूद है।


निम्नलिखित प्रकार से उनकी मदद की जा सकती है –

  • कान की मशीन का प्रयोग करना
  • टेलीफोन एम्पलीफायर (ध्वनि विस्तारक) का प्रयोग 
  • इशारों में बात करने की भाषा सीखना
  • होठ पढ़ने का प्रशिक्षण प्राप्त करना 
  • दृश्य संकेतों का उपयोग करके संचार को बेहतर बनाना 
  • कान में बनने वाली अतिरिक्त गंदगी (कान के मैल) को साफ करना
  • “कॉकलीयर इम्प्लांट” (आंतरिक कान में तंत्रिका का प्रत्यारोपण करना)

किया जाने वाला उपचार काफी हद तक वर्तमान समय व्यक्ति की श्रवण-हानि के स्तर पर आधारित होता है। सुनने की समस्या का परीक्षण करने के माध्यम से इस समस्या का मूल्यांकन किया जा सकता है। आप अपनी विशिष्ट स्वास्थ्य आवश्यकताओं (तथ्यों) के बारे में नियमित रूप से अपने कान के डॉक्टर से परामर्श कर सकते है।

बहरापन – निदान और उपचार

बहरापन का इलाज करने के लिए बहरापन का आयुर्वेदिक उपचार भी कर सकते है। पर डॉक्टर आपके श्रवण-शक्ति का परिक्षण करेगा। इसके अंतर्गत ऑडिओलॉजिस्ट कई प्रकार के जांच परिक्षण करने के बाद आपकी समस्या की पुष्टि करता है। साथ ही किये गये जांच परीक्षणों (टेस्ट) के आधार पर आपको श्रवण-शक्ति बढ़ाने के के उपाय बताएगा या फिर अन्य इलाज करेगा।

1. शारीरिक परीक्षा

पेशेवर कान के डॉक्टर आपको सुनने की समस्या होने पर आपके कानों की जांच शुरू कर देगा। जैसे – कान का मैल या किसी प्रकार के संक्रमण से होने वाली सूजन, जो की “ओटोस्कोप” नामक एक विशेष उपकरण के द्वारा देखा जाता है। आपका डॉक्टर आपकी सुनने की समस्या के किसी भी संरचनात्मक कारण की भी तलाश करेगा। आपका डॉक्टर आपको परिक्षण के समय में एक कान को ढँक कर रखने के लिए भी कह सकता है। यह देखने के लिए कि आप विभिन्न खंडों में बोले जाने वाले शब्दों को कैसे सुनते हैं? और आप परिक्षण के अंतर्गत अन्य ध्वनियों का जवाब कैसे देते हैं?



2. ट्यूनिंग फोर्क परीक्षण

“ट्यूनिंग फोर्क” (U के आकार का कांटा) के साथ परीक्षण आपके कान के डॉक्टर को आपकी सुनने की समस्या का पता लगाने में मदद कर सकता है। एक “ट्यूनिंग फोर्क” मूल्यांकन यह भी प्रकट कर सकता है। कि श्रवण-हानि आपके मध्य कान के कंपन ग्रहण करने वाले भागों को, संवेदी अंगों को या आपके आंतरिक कान की नसों को नुकसान पहुंचाती है, या फिर दोनों को एकसाथ नुकसान पहुंचाता है। प्रवाहकीय (बाहरी और मध्य कान द्वारा) और आंतरिक कान सम्बन्धी (सेन्सोरीन्यूरल) सुनने की समस्या के बीच अंतर करने के लिए यह परीक्षण प्रयुक्त होता है।

3. ऑडीमीटर परीक्षण

एक “ऑडीमेट्री” मूल्यांकन एक दर्द रहित, और शरीर में अन्य उपकरणों को न लगाने सम्बन्धी परीक्षण है। जो एक व्यक्ति द्वारा अलग आवाज, आवाज की तीव्रता, या अन्य आवृत्तियों को सुनने की क्षमता को मापता है। एक “ऑडियोलॉजिस्ट” (कान के विशेष डॉक्टर) द्वारा किए गए इन अधिक व्यापक परीक्षणों के दौरान, आप एक समय में एक कान को निर्देशित करने वाले “इयरफ़ोन” पहनते हैं और ध्वनि सुनते हैं। “ऑडियोलॉजिस्ट” आपके समक्ष विभिन्न स्वरों की आवाज़ प्रस्तुत करता है, और आपको हर बार ध्वनि सुनने के लिए संकेत देता है।

निष्कर्ष व परिणाम

आपके कान हर प्रकार से आपके लिए महत्वपूर्ण है। यह आपके शरीर का अहम् हिस्सा है। जिनकी सहायता से आपका शरीर संतुलन कायम रखता है, और दूसरे व्यक्तियों द्वारा बोली गयी या आपके आस पास उत्पन्न हो रही ध्वनि संकेतों को ग्रहण करता है। जिससे की आप उन्हें सुनते है, और प्रतिक्रिया करते है।वैसे तो अब आप यह जान गए होंगे की सुनने की समस्या ध्यान न देने योग्य से लेकर जटिल रूप धारण करने वाली भी हो सकती है। इसलिए आज से ही अपने कानो के स्वास्थ्य का विशेष ख़याल रखें, जरूरी सावधानियाँ और उपायों की सहायता से एक लम्बे समय तक बेहतर सुनने की शक्ति के स्वामी बनें। बेहतर सुने व स्वस्थ रहें।








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